Wednesday, January 12, 2011

दुनिया के नियमों पर बस हंसते हैं

देखा है तड़पते दोस्तों को,
दुनिया की नाकामी को अपने कंधे पर ढोते,
थक चुके हैं समाज के खोखले नियमों को मानते,
इसलिए बड़ों का विरोध करना ही सही जानते!

उनका मन भी कभी निश्छल था,
पर हर कदम पर लोगों ने छला था,
इसलिए कहते हैं की हम क्यों समाज के नियमों को मानें,
आप ने बनाया है अब आप ही जानें!
फिर भी ग़रीबों की मदद वो हमेशा करते हैं,
डोनेशन देने में पीछे नहीं हटते हैं,
लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं,
पर कैसे करें सही रास्ते को नही पहचानते हैं!

लक्ष्य को अगर वो जान लें,
सही रास्ते को अगर पहचान लें,
कर जाएँगे कुछ ऐसा काम नया,
समझेंगे उसे कर हमने जीवन को पूरी तरह जिया!

पर नहीं मिलता सही जवाब उन्हें,
दिखते नहीं चेहरे दें सम्मान जिन्हें,
इसलिए अपने रास्ते चलते हैं,
और दुनिया के नियमों पर बस हंसते हैं!

 

No comments:

Post a Comment