Saturday, January 15, 2011

मुन्ना भाई बाइयमेट्रिक आइडेंटिटी कार्ड पर

सर्किट मुन्ना भाई से बोला..सुना है भाई सरकार एक ऐसा आइडेंटिटी कार्ड ला रहला है जिससे हर किसी का बाइयोडेटा मामूओ के पास पहुच जाएगा..हन सर्किट..इस कार्ड को बाइयमेट्रिक आइडेंटिटी कार्ड बोलते हैं...बोले तो तेरे अक्खे लाइफ का पूरा डाटा मामूओ को मालूम पर जाएगा..ये तो बड़ा ख़तरनाक है भाई..अब साला अकखे इंडिया को मालूम पर जाएगा की अपुन कौन से नाप का चड्डी पहनता है..अरे ऐसा नही है..सरकार के पास इस कार्ड से सारे सिटिज़न के बारे मे इन्फर्मेशन आ जाएगा..बोले तो ट्रॅक करने मे ईज़ी होयगा..पर भाई मामूओ ने इसका ग़लत इस्तेमाल किया तो लेने के देने पर जाएँगे..और अगर इसका ड्यूप्लिकेट निकला तो बहुत बवाल हो जाएगा..करेक्ट सर्किट...ये बड़ी समस्या हो जाएगी..साला सरकारी डिपार्टमेंट मे  पहले से ही करप्षन है..कहीं डाटा लीक हुआ तो सब कुछ काफ़ी कॉंप्लिकेटेड हो जाएगा..भाई अपुन तो अपना डाटा नही देगा..साला अपने साइड बिज़्नेस का क्या होयगा..अभी अपने को 40 पैर और 20 हाथ तोड़ने का है... अबे एडे तेरे बिज़्नेस से ज़्यादा सारी जनता के साथ ग़लत होने का ख़तरा है.. सरकार के नियम को तो सारी जनता को मानना होगा..अब हर अच्छे  चीज़ के साथ थोड़ा साइड एफेक्ट तो होता ही है..सही है भाई..अपुन को लगता है सरकार को काफ़ी प्रिकॉशन लेना होगा..हां रे पर लोचा भी हो सकता है...भाई अपना देश सोचता अच्छा है पर विदेशी सिस्टम को फॉलो करने मे लोचा हो जाता है..सच है रे..ये प्रॉजेक्ट पूरी दुनिया मे रिजेक्ट कर दिया गया है..बोले तो कनाडा, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, चाइना आदि देशो मे पब्लिक ने विरोध कर इसे बंद करवा दिया है..बस इस प्रॉजेक्ट का हेड मिस्टर. निलेकानी बड़ा सही बंदा है..सयद सब ठीक रहे..हां भाई ऐसा हो तो अच्छा होगा..पर भाई ग़रीब लोगों को तो कुछ पता नही होता..उनके साथ ज़्यादती भी हो सकती है..सच है सर्किट..मुझे लगता है सरकार को इसे काफ़ी सोच समझ कर इंट्रोड्यूस करना चाहिए..जल्दी जल्दी मे गारबर हो सकता है..सही है भाई..भाई तुझे ना देश के पॉलिटिक्स मे जाना चाहिए..जनता का कुछ भला होयगा..अरे हमारे जैसों के लिए पॉलिटिक्स मे कोई जगह नही है रे..भाई तू बोल तो..अपुन अक्खे इंडिया का वोट तेरे कदमों में  ला कर रख देगा..नही सर्किट ..हम जिन मामूओ की शिकायत करते हैं..वैसा नहीं होना है रे..सही है भाई..भाई कल तेरे चिकना है ना, जो हमेशा अँग्रेज़ी छाटता रहता है, ने कहा की 'रियल्टी' मे ना बहुत लोचा है..सभी बिल्डिंग कमज़ोर मेटीरियल से बना है..और बहुत गुंडागर्दी है..तो मैने कह दिया..नही चिकने..वास्तव  फिल्म मे ना बिल्डिंग काफ़ी मज़बूत थी..देखा लड़के कितनी भाग दौर करते थे पर बिल्डिंग नही गिरती थी..और गुंडागर्दी मज़बूरी मे हुई थी...आबे एडे रियल्टी मतलब वास्तव नही..क्यों अँग्रेज़ी की तंग तोड़ता है..अब तुझे ठोंक डालूँगा..रियल्टी मतलब..जो मामू लोग बिल्डिंग बनाने का धनदा करते हैं ना वही..सच मे तो बिल्कुल एडा है..भाई मई तो बॅस इंग्लीश सीखने की कोशिश कर रहा हूँ..मत कर मेरे बाप..इससे अच्छा तू हिन्दी मे बात कर..भाई अपनी हिन्दी भी तो माशा अल्लाह..ही ही ही.!     

Wednesday, January 12, 2011

किसे अब ये हाल बतायें

मँहगाई की ही तो मार है,
जेब में बस रुपये चार है,
सॅलरी में अब कहाँ उछाल है,
जीवन जीना तो लगता अब जंजाल है!

ग़रीबी रेखा अब ताक झाक रही है,
किसे कैसे मापे ये सवाल पूछ रही है,
खाने में अब प्याज़ कहाँ है,
और नन्ही बिटिया भी अब होने को जवां है!

किस तरह हम अब अपना हाल बतायें,
कैसे ज़िम्मेदारीओं से मुँह चुरायें,
लगता है की प्याज़ की जगह खुद ही पीस जायें,
कब तक रसोई की ज़िम्मेदारियों पर हीं आँसू बहायें!

खो रहे हैं हर सपने को,
देख रहे हैं मायूस हर अपने को,
थोड़ी सॅलरी का क्या अचार बनायें,
किस सरकार को जा कर ये हाल बतायें!

बोलते हैं मंहगाई तो बढ़ती ही है,
प्राइस तो धीरे धीरे चढ़ता ही है,
तुम अब इसे नहीं बहाना बनाना,
पाँच साल में एक बार हमें जाकर वोट दे आना!

एक तरफ मारते हैं पेट पर लात,
दूसरी तरफ करते हैं विकास की बात,
हर तरक्की की ग़रीब ही क्यों कीमत चुकाये,
क्यों नहीं हम अपना कड़ा विरोध जताएँ!
 
पर सुनता है कौन इन बातों को,
किसे सुनना है इन ज़ज़्बातों को,
हम तो बस ऐसे ही बकवास करते हैं,
कुछ हो जाये इसलिए आपसे संवाद करते हैं!  

दुनिया के नियमों पर बस हंसते हैं

देखा है तड़पते दोस्तों को,
दुनिया की नाकामी को अपने कंधे पर ढोते,
थक चुके हैं समाज के खोखले नियमों को मानते,
इसलिए बड़ों का विरोध करना ही सही जानते!

उनका मन भी कभी निश्छल था,
पर हर कदम पर लोगों ने छला था,
इसलिए कहते हैं की हम क्यों समाज के नियमों को मानें,
आप ने बनाया है अब आप ही जानें!
फिर भी ग़रीबों की मदद वो हमेशा करते हैं,
डोनेशन देने में पीछे नहीं हटते हैं,
लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं,
पर कैसे करें सही रास्ते को नही पहचानते हैं!

लक्ष्य को अगर वो जान लें,
सही रास्ते को अगर पहचान लें,
कर जाएँगे कुछ ऐसा काम नया,
समझेंगे उसे कर हमने जीवन को पूरी तरह जिया!

पर नहीं मिलता सही जवाब उन्हें,
दिखते नहीं चेहरे दें सम्मान जिन्हें,
इसलिए अपने रास्ते चलते हैं,
और दुनिया के नियमों पर बस हंसते हैं!

 

Sunday, January 9, 2011

मुन्ना भाई बिग बॉस पर

सर्किट एक दिन भागता भागता मुन्ना भाई के पास आया और हाफते हुए बोला..भाई अपुन ने ना आज छोटू से सुना की बिग बॉस टीवी पे आ रहे हैं..भाई मुझे बहुत डर लगने लगा..क्या हुआ भाई?..कोई लोचा हुआ क्या?..क्या भीर से?..मुन्ना भाई बोले..हां रे सर्किट फिर से..इस बार चौथी बार..बोले तो बिग बॉस 4 ..हाए राम ..अब क्या ..हमारा क्या होगा..अरे होना क्या है..हम एंजॉय करेंगे..खूब मज़ा आयेग...भाई ये अच्छा नहीं है..अपुन ऐसा नही होने देगऽपुन सबको फोड़ डालेगा..अरे क्या अच्छा नही है..और क्या हमेशा तोड़ने फोड़ने की बात करता है..भाई यही की बिग बॉस टीवी पे आएला है..अरेस्ट हो गेयेला है..रुक रुक तो किस बिग बॉस की बात कर रहा है..अपने बॉस की और क्या...अबे एडे बिग बॉस एक रेआलिटी शो है..हां भाई तो मई कौन से नकली शो की बात कर रहा है..मई भी तो रियल शो की बात कर रहा है..जो टीवी वाले मामू लोग दिखा रहे हैं..अरे तू भी ना सर्किट..बिग बॉस एक रेआलिटी शो है..बोले तो उसमे बहुत से लोग बिग बॉस के घर मे रहते हैं और दुनिया से उनका  ख़तम हो जाता है..और जो सभी नियमों को मानते हुए अंत में पब्लिक द्वारा चुना जाता है वही जीतता है...ऐसा भाई...इसमे कैसे जाते हैं..हमे भी इसमे जाना चाहिए..हमसे अच्छा  इस गेम को कौन खेल सकता है..अरे नही रे..हम वहाँ क्या करेंगे?..हम इस ग़मे को भाई आराम से जीतेंगे..सब नियम को मानते हुए गेम बजाने मे हम तो माहिर हैं..और आपके पर्फेक्ट शॉट से एक बार मे आदमी खल्लास..अबे एडे..इसमें गोली बंदूक नही बल्कि 'शब्दों की गोली' चलाते हैं..बिग बॉस के घर का काम करना पड़ता है और पीछे में एक दूसरे के अगेन्स्ट गेम प्लॉट करना पड़ता है...इसमे हर दिन दोस्त बदलते हैं..इसमें कोई किसी का नही होता...और सभी सब के होते हैं..घर मे लड़ना झगड़ना भी होता है और दोस्ती भी होती है..फुल्तु मस्ती होती है..लोग खूब एंजाय करते हैं..अंत मे एक विनर बचता है और वो तुरंत दुनिया मे हीरो या हेरोयिन बन जाते हैं..ये गेम तो फ्लॉप है भाई..इसे कोई भी नही देखता होगा...नही सर्किट..अक्खी दुनिया में ये शो बहुत फेमस है..लोग बहुत पसंद करते हैं..इंडिया मे भी ये शो हिट है..भाई पब्लिक भी ना अनरियल को रियल..और रियल को अनरियल  समझती है..एक दूसरे की टाँग खीच कर..कानाफूसी कर कर..गाली दे कर गेम जीतने में क्या हीरो या हेरोयिन बनना..दुनिया के लिए कुछ करने मे..उल्टे सिर वाले मामूओन को फोड़ने मे हेरोयिज़म है..पब्लिक बस भागती रहती है..सच्चाई को कब समझेगी...जिसे सोसाइटी से उखाड़ फेकना चाहिए था उसमे मस्ती लेती है..अरे सर्किट..आज तूने बड़ी सनझदारी की बात कर दी..आज अगर बापू होते तो सोसाइटी मे आई गिरावट से बहुत दुखी होते..अरे भाई बापू से याद आया..आजकल दुनिया मे बापू की बहुत स्टॅच्यू लग रही है..हां रे पर स्टॅच्यू लगाने से नहीं पर बापू की बातों पर चलने से दुनिया बदलेगी..अरे दुनिया तेल लेने गयी भाई..दुनिया से हुमको क्या..अक्खी दुनिया ऐसी ही है और ऐसी ही रहेगी..नही सर्किट..अपुन को लगता है की आजकल के छोकड़े छोकड़ियों को अगर सही रास्ता दिखाया जाए तो दुनिया ज़रूर बदलेगी..मामू लोग खुद ग़लत एग्ज़ॅंपल पेश करते हैं..उनकी क्वेस्चन और डाउट का सही आनसर नही देते..इसलिए वो रेबेलियस हो जाते हैं ..सही है भाई.

नोट: मुन्ना भाई और सर्किट कॅरक्टर "मुन्ना भाई" सिरीज़ फिल्म से प्रेरित है! 

Sunday, January 2, 2011

विकीलीक पर मुन्नाभाई बोले

एक दिन सर्किट मुन्ना भाई से बोला " भाई यह विकीलीक-विकीलीक का मामू लोग क्या हल्ला मचाए हुए हैं... अपुन के भेजे की तो बाट लग गयी है"..मुन्ना भाई बोले "अरे सर्किट यह विकीलीक दुनिया के बड़े-बड़े मामूओ का बॅंड बजा देला है..बोले तो भाई..माने सर्किट इन मामूओ की तो बाट लग गयी है..पर वो कैसे भाई... अरे सर्किट यह जो मामू लोग हम लोगों को खाली पीली बोलबच्चन देते हैं ना.. ये अकेले मे बात करते समये एकदूसरे की मिट्टी पलिद करते हैं... ऐसा क्या भाई.. हां सर्किट और मालूम कुछ मामू तो सॉलिड गाली देते हुए पकरायले हैं...फिर उन मामूओ की तो सॉलिड लग होगी भाई..अरे सर्किट यह मामू लोग हैं ना बड़े तोप होते हैं ...जब अपनी जान पर बनती हैं ना तो दूसरों को बलि का बकड़ा बनाते हैं. अपुन लोग तो बस दस बीस को टपकाते हैं ..लेकिन यह लोग अपने प्रॉफिट के लिए हज़ारो लाखों को टपका देते हैं!
भाई पर अपुन को यह समझ मे नही आया की किस विक्की ने लीक किया ये सब बात और उस विक्की का क्या हुआ..बोले तो मामूओ ने उसका क्या किया..अरे एडे विक्की नहीं विकीलीक एक बेबसाइट है बोले तो कंप्यूटर पर जो सब छोकड़े इंटरनेट करते हैं ना वही..तेरी आईटी स्किल है न विल्कुल ज़ीरो है..पर भाई इंटरनेट में तो मैने सुना है लोग कॉफी पीतें हैं... अरे नही एडे साइबर केफे बोलते हैं जहाँ लोग काफ़ी पीते हुए इंटरनेट करते हैं..अब ज़्यादा दिमाग़ का दही मत कर..भाई मई तो बस ऐसे ही पूछ रहा था..गुस्सा नही होने का..पर भाई लीक किस पाइप से हुआ..अबे तेरे को ठोंक डालूँगा..ये सब इंटरनेट पर विकीलीक वेबसाइट पे आया है.. बोले तो मामू लोग जब फोन करते थे ना तो विकीलीक वालों ने रेकॉर्ड कर लिया..क्या सॉलिड बाट लगाई है सभी मामूओ की...बॅंड बजा के रख दी है सब की..भाई ये मामू लोग तो बड़े शयाने निकले..मतलब हमाम में सब नंगे हैं..और नही तो क्या सर्किट ..अब देख ना कांदा भी 70 रुपये में मिलने लगा..और मामू लोग सिर्फ़ प्लान बनाते रह गये...अभी बापू होते तो अनशन पर बैठ जाते..भाई पर अब अक्खे दुनिया के मामू विकीलीक के बाद क्या कर रहे हैं ..अरे सर्किट क्या होना है..एक बंदे को जेल मे ठूँश दिया है बस लीपा-पोती कर देंगे..अक्खी दुनिया की हालत एक सी है..मामू लोग ग़लती करते हैं और बेचारी जनता भुगतती है!
एक बात बोलूं भाई..हाँ बोल सर्किट..कल अपुन ने ना फ़ोन पे दुव्ईवाले भाई के बारे में शीला को कुछ बोल दिया...अरे अरे सर्किट तू शीला को जानता है..एक मुलाकात करवा ना..अभी मई भी जवान हूँ..अरे भाई मई उस शीला की बात नहीं कर रहा..मई तो अपनी बाजू वाली शीला की बात कर रहा हूँ..अच्छा बोल..भाई कहीं विकीलीक वालों ने लीक कर दिया तो भाई मार डालेगा..अरे एडे नही रे..विकीलीक वालों का हमारे तेरे बातों से कोई मतलब नहीं..वो लोग तो बड़े-बड़े मामूओ की करतूत जनता के सामने लाते हैं..हमारी तुम्हारी क्या हस्ती.भाई ऐसा नही बोलने का..अक्खे इंडिया मे आपको लोग मानते हैं..आपकी भी सॉलिड रेप्युटेशन है...चल हट सर्किट खाली बकवास करता है..अभी बहुत काम है अपने को..बाकी बातें बाद मे!

नोट: मुन्ना भाई और सर्किट कॅरक्टर "मुन्ना भाई" सिरीज़ फिल्म से प्रेरित है!     

Friday, December 31, 2010

आप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं..नववर्ष आपका मंगलमय हो और आपके जीवन मे नयी खुशियों का प्रवेश हो..इस दुआ के साथ नववर्ष मे आपका स्वागत करता हूँ और आपके सामने ये कविता पेश करता हूँ.

आ रहा नया वर्ष

आ रहा है फिर एक नया वर्ष,
छा रहा है हर तरफ एक नया हर्ष,
जग रही लोगो के मन में एक नई आश,
होगा बेहतर यह वर्ष बस यही है प्रयास!

मन में एक अजीब कसग जग रही है,
कुछ नया होने की आश जग रही है,
सोचता हूँ क्या नया होगा अगले वर्ष,
क्या नया होगा जो नही हुआ बीते वर्ष!


एक पल रुक कर क्यों नही हिसाब करें,
जो बीत गया उस वर्ष की कुछ बात करें,
हमने क्या खोया इस बीते वर्ष में,
हमने क्या पाया इस गुज़रे वर्ष में!

कुछ लोगो ने पाया बहुत कुछ पिछले वर्ष,
कुछ लोगो ने खोया हर कुछ बीते वर्ष,
ऐसा ही होता है और ऐसा ही होगा,
फिर नये वर्ष में कुछ नया होने का क्यों आभास करें!


समय का पहिया ऐसे ही घूमता है,
हम उठते और गिरते रहते हैं,
जीवन नैया मे हिचकोले खाते हैं,
गिरते संभाले आगे बढ़ते जाते हैं!

सम्पन लोग जश्न मे डूबते हैं,
ग़रीब भूख की आग मे तड़पते हैं,
नया पुराना सब उनके लिए बेमानी,
कुछ नया होगा यह बस एक कहानी!

हर तरफ एक लूट मची है,
सब कुछ पाने की होड़ लगी है,
हर कोई दूसरों को मसल आगे बढ़ने मे लगा है,
मन की शांति को तो कब का भंग कर चुका है!

प्रकृति भी त्राहिमाम कर रही है,
आम जनता सिसक रही है,
प्रलय की ओर हम बढ़ रहे हैं,
फिर भी बदले का यह वक़्त यह उम्मीद कर रहे हैं!

थके हारे चेहरे एक सवाल पूछ रहे हैं,
कब आएगा वो वक़्त जिसकी राह तक रहे हैं,
मैं कहता उन्हे की वो वक़्त बस नज़दीक है,
हम अपने सपनो के समीप हैं,
आज माना की नहीं कोई विकल्प है,
पर बदल देंगे दुनिया यह संकल्प है!